शिव से ऐसे रूठे कि आज तक नहीं मनाते शिवरात्रि

गुरुवार, 4 मार्च 2010

पूरे देश में जहां महाशिवरात्रि पर्व की धूम होती है, वहीं हिमाचल के रोहड़ू की सिंदासली पंचायत के आठ गांवों के लोग भगवान शिव से अपनी नाराजगी जाहिर करते है। गांववालों की यह नाराजगी सदियों से है।  स्थानीय इष्ट देव थैंई नाग महाराज को मानने वाले पंचायत के आठ गांवों के लोग महाशिवरात्रि नहीं मनाते। सदियों से चली आ रही इस मान्यता के चलते सिंदासली प्रदेश का ऐसा अकेला क्षेत्र है जहां इस दिन भगवान शिव की पूजा नहीं की जाती।




मान्यता है कि देवता थैंई नाग और भगवान शिव के बीच पैदा हुए विवाद के चलते सदियों पहले यहां शिवरात्रि पर पूजा प्रतिबंधित कर दी गई थी जिसका अनुसरण लोग आज तक कर रहे हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार एक बार देवता थैंई नाग महाराज चांशल घाटी की तरफ जाने के लिए निकले। रास्ते में जांगलिख गांव के पास पब्बर नदी पर लगे जगपाजा पुल पर उनकी मुलाकात भगवान शिव से हुई। दोनों चंद्रनाहन की तरफ जाने के लिए पुल पर आ रहे थे।


दोनों पुल के बीच पहुंचे। थैंई नाग ने भगवान शिव को रास्ता देने के लिए पीछे हटने को कहा, लेकिन भगवान शिव ने इनकार कर दिया और थैंई नाग को पीछे हटने को कहा। इसी बात को लेकर दोनों में विवाद हो गया । काफी देर तक विवाद हल न होने पर भगवान शिव को क्रोध आ गया। उन्होंने थैंई नाग महाराज को धक्का देकर गिरा दिया और आगे बढ़ गए । इस बात से क्रोधित थैंई नाग महाराज ने अपने क्षेत्र में शिव पूजन और शिवरात्रि पर्व का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया। इस घटना के बाद क्षेत्र में शिव पूजन और शिव से जुड़े किसी भी अनुष्ठान पर रोक लगा दी गई। रोहड़ू की सिंदासली पंचायत के पितारली, हरवाणी, शिंगोली, सिंदासली, बुसारी-1 और बुसारी-2 गांवों में शिवरात्रि को अपशकुन माना जाता है।
The Help
दामाद मानते हैं, पूजते नहीं


बुसारी के 80 वर्षीय हरीराम का कहना है कि देवता थैंई नाग महाराज के क्षेत्र में आने वाले किसी भी गांव मे आज तक किसी भी परिवार ने शिवरात्रि पर्व नहीं मनाया । उनका कहना है कि महाशिवरात्रि पर्व को लेकर प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को हिमालय के दामाद और पार्वती को हिमालय की पुत्री माना जाता है। उनके विवाह बंधन मे बंधने की खुशी में ही शिवरात्रि मनाई जाती है। किंवदंती के अनुसार आज ही के दिन भगवान शिव बारात लेकर हिमालय पहुंचे थे। इस दिन हिमालय की चोटियों की तराई में बसे सभी क्षेत्रों मे इस पर्व को विशेष महत्व दिया जाता है। हर क्षेत्र में अलग-अलग परंपराओं के अनुसार शिवरात्रि मनाई जाती है।

0 टिप्पणी:

एक टिप्पणी भेजें